रामचरित मानस

210 Part

38 times read

1 Liked

... * तेहि कौतुक कर मरमु न काहूँ। जाना अनुज न मातु पिताहूँ॥ जानु पानि धाए मोहि धरना। स्यामल गात अरुन कर चरना॥3॥ भावार्थ:-उस खेल का मर्म किसी ने नहीं जाना, ...

Chapter

×